प्यार को प्यार रहने दे जागीर ना बनाये अपने सोच की
किसी रिश्ता को लंबे समय तक बनाये रखने के लिए आवश्यक तत्त्व क्या है?
आपसी समझ, विश्वाश, स्पेस...
पर सबसे ज्यादा एक दुसरे को समझना और एक दुसरे के भावनाओ और समझ की क़द्र करना। आपसी रिश्ते मे कभी भी अपनी सोच दुसरे पर लड़ने की कोशिश करना मुर्खता है और इससे रिश्तों मे दूरियां आने लगती है। अगर कभी लगे भी कि साथी ग़लत कर रहा है तो उसे समझाने की कोशिश करे ना की अपनी सोच लादने की। सारा प्यार, सारी दोस्ती वही ख़त्म होने लगती है जहा से अपनी सोच को जबरन लादने की कोशिश की जाती है। बहुत बार समय का इंतजार करना भी फायदेमंद होता है।
दुनिया मे हर व्यक्ति की अपनी सोच होती है और वह इस सोच के साथ जीने की कोशिश करता है। जैसे ही उसे लगता है कि उसकी सोच को ग़लत बताया जा रहा है और उसपर कोई अपनी सोच लादने की कोशिश कर रहा है, वह प्रतिरोध करने लगता है। कई बार चोट खा कर संभालना ज्यादा अच्छा होता है बजाय उसपर जबरन अपनी सोच लादी जाए।
...और यही कारण रहा कि मेरे दोस्त को आज टूटे दिल की सजा भुगतनी पड़ रही है।
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वह सम्बन्ध ही क्या जो बार-बार टूटे नहीं
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4 comments:
सराहनीय पोस्ट है भाई ...अच्छा लिखा है
कहा से चोट खा आये भाई......
Sundar bhav hain...!!
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गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!
bahut dard hai aapaki lekhani me ..aage kuchh kahne ki himmat hi nahi..
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