अजीब होते हैं जज्बात भी
अजीब होता है प्यार का जज़्बा, कुछ माँगता नही बस दिये जाना चाहता है, अगर कोई लेना ना चाहे तो भी…
तुम्हें भूल कर भी भुलाने को जी नही करता, तुम भूल गई हो फिर भी तुम्हारा हाल पूछना जरुरी लगता है (ये अलग बात है कि तुमसे बात किए जमाना गुज़र गया)
तुम्हें भूल कर भी तुम्हारी हँसी आँखों से नहीं जाती,
अब तुम पलट कर मेरी तरफ मुसकुराओगे नही कभी, लेकिन फिर भी महसूस करता हूँ तुम्हारी पलकें, अपनी पलकें बन्द करके भी...
मन में खयाल आते हैं तुम्हारे, सही न लगे फिर भी बहाने से बोलता हूँ तुम्हारे बारे में,
जो बैठता हूँ किसी अजनबी के साथ भी, सोचता हूँ कैसे बना लेते है किसी अजनबी को इतना खास,
तुम हो नहीं पास, वो लम्बे दौर बातों के चल न सकेगें कभी पर सभी बातें याद हैं, छोटी से छोटी भी…
ये लिख रहा हूँ की भुलाया नहीं जाता पर क्या चाह कर भी भूल सकूँगा कभी उन बातों को,
आज भी दर्द होता है जब लगता है है कि कोई इतना खास, अब नही है पास
कुछ पल या दिनों में मै अजनबी हो गया हूँ, मुझसे छुपाया जाने लगा है हर सच और मुझे बताया जाने लगा है झूठ, हर उस बात के लिए जो मैंने सोचा था तेरे भले के लिए
मै हर पल सोचता हूँ कैसे कोई बन सकता है इतना खास, कैसे हम कह देते है चंद मुलाकातों में कि वो बहुत अच्छा है,
मेरे अनुभव कहा ग़लत हो जाते हैं ?
बहुत कोशिश कर रहा हूँ कि थाम के रख लू उसे अपनी बाँहों में पर बार बार वो फिसलने के लिए मचलती है, दूर जाने की कोशिश करती है.
काश मै समझा सकता उसे दुनिया की रीत, काश बता सकता उसे क्या है सच
काश बता सकता कि आँखों में कई बार सच्चाई जो दिखाई जाती है, वो कुछ अलग ही होती है सच से
काश उसे बता पता कि कितना अपरिपक्व है उसका अनुभव और वो ख़ुद
उसे कभी पता नही चल पाता कि लोग किस नज़रों से देख रहे है
मै जानता हूँ जब विचार बदलते है तो सब बदलता है, काश उसे थाम सकता अपनी बाँहों में,
पर फिर भी, बहुत मुश्किल से थामें रखी है डोरी इस प्यार की.
कब तक पता नही...
2 comments:
achhe or sachhe vuchar hain
ap bas pyar kee dori ko tham ke rakho; mera vada hai ki apka sacha pyar apke pas laut ke ayega; use jab samajh me ayega tab waqt gujar chuka rahega; phir bhi wo laut ke ayegi apke pas; apke dard ko mahsus kar aj mai khud ro padi hu
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