एंबुलेंस और पुलिस से तेज है डोमिनोज का पिज्जा
भारत की एक हकीकत: यहाँ हम जिस दुनिया मे रहते है वह पिज्जा की होम डिलीवरी सेवा किसी पुलिस या एंबुलेंस सेवा से ज्यादा तेज़ और जिम्मेदार है।जी हाँ सच यही है, डोमिनोज मात्र 30 मिनट मे घर पर पिज्जा की डिलिवरी का दावा करता है और तयशुदा अवधि मे पिज्जा नही पंहुचा सकने पर उसे मुफ्त मे ग्राहक को देने का प्रावधान है। अब आप इस सेवा को किसी अस्पताल के एंबुलेंस सेवा के साथ तुलना कर के देखिये। एक जगह जहा मात्र व्यावसायिक हित है और खाने के सामान को पहुचना है जिसके 5-10 मिनट देर से पहुचने पर कोई तूफान नही खड़ा हो सकता वही दूसरी तरफ़ एंबुलेंस और पुलिस जैसी आवश्यक नागरीक सेवा है जिसके साथ जिंदगी और जान माल की सुरक्षा जुडा है।
सच कहे तो आज भी भारत मे आवश्यक नागरिक सेवाओं की स्थिति नाजुक बनी हुई है और जैसे तैसे उन्हें खिंचा जा रहा है। राजधानी दिल्ली मे बिजली की किल्लत बनी हुई है। दस सालों मे जहाँ बिजली की मांग मे भरी बढोतरी हुई है वही उतपादन मे कोई वांछित वृद्धि देखने को नही मिला। राजधानी क्षेत्र मे ही लोकमान्य जयप्रकाश नारायण अस्पताल के सामने दो महीनो से इलाज के इंतजार मे बैठे एक नागरीक (पढ़े गरीब नागरीक) का सड़क पर मौत हो जाती है। उस मौत का जिम्मेदार कौन है?
सच तो यह है की अभी भी देश मे जिम्मेदारी तय करने का कोई मानक नही है। हर जिम्मेदारी को एक के कंधे से दुसरे के कंधे तक तब तक धकेला जाता है जब तक आम जनता उस बात को भूल नही जाती है। अब इसका जिम्मेदार कौन है ये भी प्रश्न जटिल है क्यूंकि अगर जनता को जिम्मेदार करार देते है तो फिर केंद्रीकृत जिम्मेदारी तय करने की जगह लाखो कंधो को जिम्मेदार बताकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाने की बात सच होने लगती है।
3 comments:
बहुत बड़ी हकीकत से रूबरू कराया आपने। सही कहा है आपने।
आपके इस लेख से ये लगता है कि हमारे सरकारी तंत्र को पिज़्ज़ा कंपनी से शिक्षा लेनी चाहिए। लेकिन, असलियत ये है कि अगर कोई निजी कंपनी ऐसी किसी काम में हाथ डालेगी तो वो भी इतनी ही भ्रष्ट और सुस्त हो जाएगी।
सही है..यही हकीकत है!
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