रविवार, 14 जून 2009

कहा मिलती है ख़ुशी....

जिंदगी की बहुरंगी छवि, सच कहे तो अब ही मुझे देखने को मिल रही है। कल तक जहाँ लग रहा था कि सब कुछ छुट चूका है वही आज लग रहा है कि दामन मे बस खुशियाँ ही खुशियाँ है। कितनी मायने रखती है छोटी छोटी बातें भी ना। मुझे लग रहा है कि एसा ही चलता रहा तो मै वगैर किसी डिग्री का समाजशास्त्री व मनोविज्ञानी बन जाऊंगा।

हाँ एक बात और है; क्या आप दुनिया मे अकेले रह जाते हों, मतलब कि आपके दोस्त, साथी, रिश्तेदार सब अलग हों जाते है तो इसका मतलब ये होता है कि आप बहुत बुरे इन्सान हों? मै इस बात को नहीं समझ पा रहा हूँ तो सोचा कि किसी ब्लोगर साथी से ही पूछ लेता हूँ। अगर इसका जवाब हाँ है तो फिर मै तो सच मे बुरा हूँ और अगर ना है तो क्या कारण हों सकता है इसका कोई विश्लेषण कर का मुझे बता दे।

2 comments:

श्यामल सुमन 14 जून 2009 को 11:36 am बजे  

खुशी तो बाहर है नहीं यह अन्दर की बात।
लगन हो चाहत के लिए मस्त रहें दिन रात।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

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