मेरी जिंदगी की कहानी
How would you react when a beautiful lady comes into your life, becomes your most precious possession and one day goes away from you... forever?
What would you think when you suffer the worst day of your life and you need the great support from your mate... only relative in your life and she ditched you saying that you are not suitable for her and all what went among them was merely infatuation?
What if on the day of your marriage ceremony she refused to accept you as her acquaintance and blamed you for all her worries?
एक कहानी है मेरी जिंदगी भी... सच कहे तो एक फ़िल्म बन सकती है... पर बॉक्स ऑफिस पर सफलता की कोई गारंटी नही है... वैसे एक बात आज तक समझ मे नही आ सकी कि जिनके साथ मैंने हमेशा अच्छा करना चाहा वो हमेशा पीठ पीछे मेरी बुराई करने मे क्यूँ लगे रहे। मैंने सब से यही तो कहा कि अगर मै ग़लत हूँ तो मेरे सामने मेरी गलती बतावो, पर कोई ऐसा करने को तैयार नही हुआ। बचपन मे घर छुटा, माँ बाप से दूर होकर जींदगी गुजारी। अकेले पढ़ाई कर अपने पैरों पर खड़ा होने का कोशिश किया। ट्यूशन पढाया, ट्रेनर बना, अपनी कंपनी खोली और फिर दोस्त ने धोखा दिया और सब बंद हो गया। फिर से मैंने जिंदगी को नए सिरे से आरम्भ किया। इस दौरान बहुत सारे लोग मिले, नए रिश्ते बने तो कुछ टूटे भी। किसी के लिए दिल मे प्यार के फूल भी खिले और दिल ही दिल मे बंद रह गए।
इस दौरान ना जाने कितने लोग जिंदगी मे आए और गए। कुछ लड़कियों ने दिल मे जगह बनने की कोशिश की पर सफल ना हो सकी। ध्यान भी ज्यादा कैरियर पर लगा रहा। इस दौरान ना जाने किस जन्म के रिश्ते की तरह सोनीमोनी बहन भी मिली पर वो भी जिंदगी की राह मे दूर हो गई। इस दौरान मेरी जिंदगी मे एक हादसा हो चुका था। जिंदगी की एक बड़ी सच्चाई को हादसा कहना पड़ रहा है क्यूंकि इसने सब कुछ तबाह कर दिया। जिससे आप सबसे ज्यादा सहयोग की अपेक्षा करते है उससे सबसे ज्यादा विरोध मिला। इस दौरान मेरा प्यार भी मुझे मिल गया। पर मै तो इस जिंदगी को ही सवारना चाहता था और इसके लिए हद से ज्यादा कोशिश की। जब थक गया तो फिर अपने प्यार के दामन से जुड़ कर थोडी सी खुशी ढुंढनी चाही। बहुत प्यार मिला बदले मे, लगा की साडी जिंदगी की खुशी मिल गई।
पर इस दौरान जिंदगी फिर से खेल खेल गई और मुझे दूसरा शहर भी छोड़ना पड़ा। साथ मे छुट गया उसका भी साथ जिसको अपने जिस्म औ जां से ज्यादा चाहा। बस पास मे रह गई कुछ तारीखें और यादों के सहारे जिंदगी काटने का जज्बा। मुझे पता है कि अकेले जिंदगी काटना कितना कठिन है, पर मेरे साथ न जाने कितनी यादें है जिनके सहारे जिन्दा रह सकता हूँ। और हाँ एक गलती को दुहराने की हिम्मत तो कतई मुझ मे नही है।
यहाँ आने के बाद मेरे पीछे ना जाने मुझे क्या क्या कहा गया, पर मुझे अब परवाह भी नही है किसी की। ना तो मै जा रहा हूँ किसी के पास ना ही किसी के अच्छा या बुरा कहने से मै बुरा बन जाऊंगा। बस दुःख इसका है कि जिन लोगो के लिए मैंने ना कभी अपनी परवाह की ना अपने काम की, जिसके लिए मैंने हर साँस उठा रखी, जिसके सपने को मैंने अपना सपना माना उन लोगो ने मुझे ग़लत बना दिया।
अब जो कुछ भी कहना होगा इस ब्लॉग पर मै लिखता रहूँगा और इसी के सहारे जिससे भी बात करनी होगी, करूँगा।
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