कोई मुझे सांप्रदायिक होने से बचाए...
दोस्तों सबसे पहले आप सबो को मेरा नमस्कार। बहुत दिनों से ब्लॉग का पाठक हूँ और ढेर सारी हिन्दी और अंग्रेजीके पत्रिकाओं को चाटते रहने की भी आदत है। जन्म हिंदू परिवार मे हुआ है, इस सच्चाई को तो बदल नही सकता इसलिए हिंदुत्व के साथ लगाव भी है। बचपन से लेकर जबतक इतिहास और नागरिक शास्त्र की किताबें पढ़ी (दसवे वर्ग तक) तब तक यही बताया गया कि हमारा देश गणतंत्र है और ये धर्मनिरपेक्ष भी है। बाद मे संविधान के बारे मे भी जानकारी मिली। वह भी बताया गया की भारत धर्मनिरपेक्ष है। गुरुजन व बहुत सारे बुद्धिजीवियों से भी गूढ़ ज्ञान मिला कि हमारे देश का कोई राष्ट्रीय धर्म नही है।
बहुत खुशी हुई इस बात से की कोई तो चीज है जो निरपेक्ष है। और मुझे विज्ञान के किताबों मे पढ़े गए 'सापेक्षता के सिद्धांत' पर भी संदेह होने लगा। आइन्सटीन तो गलती कर सकते है पर संविधान मे ग़लत तो नही लिखा हो सकता है। बहुत अच्छे साहब पर तभी किसी ने बताया कि अरे भाई क्या तुम्हे पता भी है किसरकार हज जाने वालों को अनुदान देती है! फिर हज जाते कौन है? जवाब मिला 'मुसलमान' हिंदू तो अमरनाथयात्रा पर जाते है और उनको वह किराये पर जमीं तक नही दी जाती है। फिर किसी सज्जन ने बताया कि गुजरातमे बहुत बड़ा दंगा हुआ जिसमे मुसलमानों को मारा और जलाया गया। मैंने पूछ कि ये हुआ क्यों तो बड़ी झिझकतेहुए बताया कि गोधरा मे हिन्दुओं से भरी ट्रेन को जला दिया गया था और इसी के प्रतिक्रिया मे यह सब कुछ हुआ। और तब से लेकर आज तक गोधरा कांड की जब भी बातें सुनी तब केवल मुसलमानों को जलने का जिक्र हुआ। ट्रेन मे जलने वालें हिन्दुओं को जिक्र के काबिल तक नही समझा गया।
धनञ्जय चटर्जी को आनन फानन मे फँसी पर लटका दिया गया पर अफजल गुरु भारत सरकार का दामाद बना बैठा है। विमान अपहरण कांड के दौरान आतंकियों को छोड़ने की घटना तो सबको याद है पर सईदा कांड की बात कही नही की जाती। मदरसे और इमामगाहो मे बैठकर इस्लाम के नाम पर गर्दन काटने के फतवे जारी किए जाते है पर अगर किसी ने सरस्वती के नग्न पेंटिंग पर आपति कर दिया तो वो सांप्रदायिक हो जाता है। भारत मे आतंकवादियों मे अक्सर मुसलिम ही शामिल रहते पाए गए है (भले ही इसेसंयोग कहे) पर मुस्लिम आतंकवाद का प्रयोग करने मे सबको शर्म आती है और एक बार साध्वी का नाम आतंकियों मे आया नही कि सारे जगह बस हिंदू आतंकवाद की ही चर्चा होने लगी।
आरएसएस और भाजपा सांप्रदायिक है क्यूंकि वे हिंदू धर्म की बात करते है पर ना तो कांग्रेस ना ही वामपंथीसांप्रदायिक है जो कि मुसलमानों का तलवा चटाने को ही राजनीति मानते है। बंगलादेशी मुसलमानों को भारत कीनागरिकता दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री तक लगे हुए है पर पाकिस्तान के जेलों मे बंद हिन्दुओ की परवाह किसी कोनही है।
बहुत माथापच्ची कर ली भइया पर धर्मनिरेपेक्षता का अर्थ नही समझ सका। आपलोग तो अब पानी पी पी के हमेंभी गरियायेंगे कि लो आ गया एक और भगवा कुत्ता भौकने के लिए। पर सच कह रहे है हम तो नासमझ है, बससमझना चाह रहे है। भाई कोई हमें समझा दो कि क्या है धर्मनिरेपेक्षता, क्या है राष्ट्रवाद और किसे कहते हैसांप्रदायिक? आप एक बार हमे समझा दो फिर वादा करते है हम भी धर्मनिरपेक्ष हो जायेंगे, पक्का वादा।
बहुत खुशी हुई इस बात से की कोई तो चीज है जो निरपेक्ष है। और मुझे विज्ञान के किताबों मे पढ़े गए 'सापेक्षता के सिद्धांत' पर भी संदेह होने लगा। आइन्सटीन तो गलती कर सकते है पर संविधान मे ग़लत तो नही लिखा हो सकता है। बहुत अच्छे साहब पर तभी किसी ने बताया कि अरे भाई क्या तुम्हे पता भी है किसरकार हज जाने वालों को अनुदान देती है! फिर हज जाते कौन है? जवाब मिला 'मुसलमान' हिंदू तो अमरनाथयात्रा पर जाते है और उनको वह किराये पर जमीं तक नही दी जाती है। फिर किसी सज्जन ने बताया कि गुजरातमे बहुत बड़ा दंगा हुआ जिसमे मुसलमानों को मारा और जलाया गया। मैंने पूछ कि ये हुआ क्यों तो बड़ी झिझकतेहुए बताया कि गोधरा मे हिन्दुओं से भरी ट्रेन को जला दिया गया था और इसी के प्रतिक्रिया मे यह सब कुछ हुआ। और तब से लेकर आज तक गोधरा कांड की जब भी बातें सुनी तब केवल मुसलमानों को जलने का जिक्र हुआ। ट्रेन मे जलने वालें हिन्दुओं को जिक्र के काबिल तक नही समझा गया।
धनञ्जय चटर्जी को आनन फानन मे फँसी पर लटका दिया गया पर अफजल गुरु भारत सरकार का दामाद बना बैठा है। विमान अपहरण कांड के दौरान आतंकियों को छोड़ने की घटना तो सबको याद है पर सईदा कांड की बात कही नही की जाती। मदरसे और इमामगाहो मे बैठकर इस्लाम के नाम पर गर्दन काटने के फतवे जारी किए जाते है पर अगर किसी ने सरस्वती के नग्न पेंटिंग पर आपति कर दिया तो वो सांप्रदायिक हो जाता है। भारत मे आतंकवादियों मे अक्सर मुसलिम ही शामिल रहते पाए गए है (भले ही इसेसंयोग कहे) पर मुस्लिम आतंकवाद का प्रयोग करने मे सबको शर्म आती है और एक बार साध्वी का नाम आतंकियों मे आया नही कि सारे जगह बस हिंदू आतंकवाद की ही चर्चा होने लगी।
आरएसएस और भाजपा सांप्रदायिक है क्यूंकि वे हिंदू धर्म की बात करते है पर ना तो कांग्रेस ना ही वामपंथीसांप्रदायिक है जो कि मुसलमानों का तलवा चटाने को ही राजनीति मानते है। बंगलादेशी मुसलमानों को भारत कीनागरिकता दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री तक लगे हुए है पर पाकिस्तान के जेलों मे बंद हिन्दुओ की परवाह किसी कोनही है।
बहुत माथापच्ची कर ली भइया पर धर्मनिरेपेक्षता का अर्थ नही समझ सका। आपलोग तो अब पानी पी पी के हमेंभी गरियायेंगे कि लो आ गया एक और भगवा कुत्ता भौकने के लिए। पर सच कह रहे है हम तो नासमझ है, बससमझना चाह रहे है। भाई कोई हमें समझा दो कि क्या है धर्मनिरेपेक्षता, क्या है राष्ट्रवाद और किसे कहते हैसांप्रदायिक? आप एक बार हमे समझा दो फिर वादा करते है हम भी धर्मनिरपेक्ष हो जायेंगे, पक्का वादा।
1 comments:
हम बाते तो बहुत करते है लेकिन काम कुछ नही करते.हर काम/बातो को या तो दुसरे पर डाल कर इतिश्री करलेते है.
जब कोई नहीं मिलता है तो सब कुछ इन नेताओ के सर पर डाल कर पतली गली से निकलने की कोशिश करने लगते है.
जब तक हम आपनी जुमेदारियो को नही समझेगे,बात बनेगी नही.
जागो हिन्दू जागो !!!!!!!!!!!!!
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