दीवानों की दुनिया मे दीवाना नाम दिया है
मेरी मुहब्बत को ठुकरा कर तुमने अच्छा काम किया
दिवानों की इस दुनिया मे मुझे भी दिवाना नाम दिया
वफ़ा के बदले जालिम तुमने मुझे रुसवाई का जाम दिया
तेरी मुहब्बत मे मैंने उसे भी अपने हाथों मे थाम लिया
तेरी जिस सादगी औ' मासूमियत का था मै दिवाना
उसी के बल मे तुमने मुझे हर इल्जाम दिया है
नही हूँ मै मयकश, तेरा यह इल्जाम ग़लत है
वफ़ा की याद मे जाम हाथों मे थाम लिया है
इश्क की आग जलाई थी तो तपना भी पड़ेगा
तू नही साथ तो अकेले तड़पना भी पड़ेगा
नही मांगता तेरे रहमतों की भीख अब भी
जिंदगी अकेले गुजार के भी देखते है जालिम
मांगी हर दुआ तेरे लिए, अब भी मांगता हूँ
जिंदगी है तू मेरी बस यही मै जानता हूँ
नाकाम मुहब्बत से अब कोई गिला नही साथी
पर तेरे कुछ लफ्जों का इंतजार ताउम्र रहेगा
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