शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

दीवानों की दुनिया मे दीवाना नाम दिया है

मेरी मुहब्बत को ठुकरा कर तुमने अच्छा काम किया
दिवानों की इस दुनिया मे मुझे भी दिवाना नाम दिया

वफ़ा के बदले जालिम तुमने मुझे रुसवाई का जाम दिया
तेरी मुहब्बत मे मैंने उसे भी अपने हाथों मे थाम लिया

तेरी जिस सादगी ' मासूमियत का था मै दिवाना
उसी के बल मे तुमने मुझे हर इल्जाम दिया है

नही हूँ मै मयकश, तेरा यह इल्जाम ग़लत है
वफ़ा की याद मे जाम हाथों मे थाम लिया है

इश्क की आग जलाई थी तो तपना भी पड़ेगा
तू नही साथ तो अकेले तड़पना भी पड़ेगा

नही मांगता तेरे रहमतों की भीख अब भी
जिंदगी अकेले गुजार के भी देखते है जालिम

मांगी हर दुआ तेरे लिए, अब भी मांगता हूँ
जिंदगी है तू मेरी बस यही मै जानता हूँ

नाकाम मुहब्बत से अब कोई गिला नही साथी
पर तेरे कुछ लफ्जों का इंतजार ताउम्र रहेगा

एक टिप्पणी भेजें

नया क्या लिखा गया है

आपके विचारों का स्वागत है

कंप्यूटर में कोई समस्या है??

link to web designers guide

ProBlogger Template Managed by Abhishek Anand And created by   ©Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP