दोस्तों पर शक करना जायज है
दोस्तों पर शक करना जायज है
वक्त का ऐसा मुकाम आया
देख क्या तेरी परछाईं तेरे साथ है
मेरे दोस्त का आज पैगाम आया
वक्त के हाथों पर छाले पडे है
हर जान के लाले पडे है
अमन चैन की बातें बेमानी हो गयीं
आज हिटलिस्ट में तेरा नाम आया
मुहब्बत के खुशबुदार फुल झर चुके है
मेरी जिंदगी का विरान शाम आया
सुनहली छटा है सुरज अस्त होने का
एक दिन और जीने का इल्जाम आया
मचलती साकियों को ना देख यूं शौक से
तन पर कफन चेहरे पर बस नुर आया
जब तक जरूरत साथ रह लेते है
रिश्तों का यह नया दस्तुर आया
2 comments:
बढ़िया है-लिखते रहें.
बहुत सुन्दरता से शब्दों को पिरोया है
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