शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

दोस्तों पर शक करना जायज है

दोस्तों पर शक करना जायज है

वक्त का ऐसा मुकाम आया

देख क्या तेरी परछाईं तेरे साथ है

मेरे दोस्त का आज पैगाम आया

वक्त के हाथों पर छाले पडे है

हर जान के लाले पडे है

अमन चैन की बातें बेमानी हो गयीं

आज हिटलिस्ट में तेरा नाम आया

मुहब्बत के खुशबुदार फुल झर चुके है

मेरी जिंदगी का विरान शाम आया

सुनहली छटा है सुरज अस्त होने का

एक दिन और जीने का इल्जाम आया

मचलती साकियों को ना देख यूं शौक से

तन पर कफन चेहरे पर बस नुर आया

जब तक जरूरत साथ रह लेते है

रिश्तों का यह नया दस्तुर आया

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