पहले शुभकामनाये तो दे दो भाई...
मेरी जिंदगी के चंद महत्वपूर्ण दिनों मे से सबसे प्यारा और ताउम्र याद रखने वाला दिन चार वर्ष मे एक बार आता है। अब तो आप समझ गए होंगे ना, जी हाँ फ़रवरी 29। अब मई इसके लिए चार साल इंतजार तो कर नही सकता तो मैंने ख़ुद एक दिन कम कर दिया।
अभी तो बस बहार आई ही थी। 29 फ़रवरी 2008, एक साल भी पुरा नही हुआ, बहार आने के साथ साथ पतझड़ भी पंहुचा और सारी खुशियाँ दफन हो गई। पर ये दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन है और रहेगा। आप बधाई नही देंगे, ना सही पर एक बात तो सच है कि यादें जिंदगी की सबसे बड़ी धरोहर है। वह धरोहर जो हमारी है। जिसे संजो के रख सकते है अपनी अन्तिम साँस तक।
जिंदगी के रंग तो यादों के साथ ही बनते है। खट्टी मीठी और कभी कभी कड़वी भी। पर सब मिलकर जिंदगी को एक स्वाद दे जाते है। वैसे ये मेरा थोड़ा सा व्यक्तिगत पोस्ट है और अगले पोस्ट मे फिर आपसे बात करेंगे ब्लॉग पर चल रही मठ परम्परा और मठाधीश बनने की प्रवृति पर।
अभी तो बस बहार आई ही थी। 29 फ़रवरी 2008, एक साल भी पुरा नही हुआ, बहार आने के साथ साथ पतझड़ भी पंहुचा और सारी खुशियाँ दफन हो गई। पर ये दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन है और रहेगा। आप बधाई नही देंगे, ना सही पर एक बात तो सच है कि यादें जिंदगी की सबसे बड़ी धरोहर है। वह धरोहर जो हमारी है। जिसे संजो के रख सकते है अपनी अन्तिम साँस तक।
जिंदगी के रंग तो यादों के साथ ही बनते है। खट्टी मीठी और कभी कभी कड़वी भी। पर सब मिलकर जिंदगी को एक स्वाद दे जाते है। वैसे ये मेरा थोड़ा सा व्यक्तिगत पोस्ट है और अगले पोस्ट मे फिर आपसे बात करेंगे ब्लॉग पर चल रही मठ परम्परा और मठाधीश बनने की प्रवृति पर।
1 comments:
chalo le lo badhai
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