चुनाव देख कांग्रेस ने मारी पलटी
आतंकी हमले के बाद कांग्रेस सरकार डैमेज कंट्रोल के काम मे लग गई है। आसन्न चुनाव को देखते हुए ये जरुरी भी था। वरना कोई वजह नही थी की साढ़े चार साल से पाल कर रखे हुए स्टाइलिश गृहमंत्री को चलता किया जाता। इसके बाद महाराष्ट्र के बड़बोले पाटिल को भी बाहर की राह दिखा दी गई। आपको याद होगा कि केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी बहुत पहले से थी, वही आर आर पाटिल ने तो यहाँ तक कह दिया कि बड़े शहर में छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं। उन्होंने तो स्पष्ट कह दिया था कि मई इस्तीफा नही दूंगा। तर्क भी जनाब का क्या खूब था- क्या गुजरात में हुए आतंकी हमलों के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्तीफा दिया था।
परन्तु जनाब को शहीद होना ही पड़ा। और दोनों पाटीलो के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलाशाराव देशमुख का भी जाना तय है। बस सोनिया जी(!) का फ़ैसला लेना बाकि है। चाँद घंटो मे उनके जाने का समाचार भी मीडिया के सुर्खियों मे आ जाएगा। सरकार ने अधिकारिक स्तर पर पाक उच्चायुक्त को बुला कर कड़ा विरोध दर्ज किया है।
सामने से देखने पर सरकार के सारे कदम सामायिक दिख रहे है और लग रहा है कि सरकार कुछ करने के इरादे से कम कर रही है। परन्तु इसके पीछे छिपा सच ये है कि राज्यों के साथ साथ लोकसभा का चुनाव भी आसन्न है। जनता मे कांग्रेस की लुंजपुंज सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। हर तरफ़ मनमोहन सिंह (खेद है पर सोनिया गाँधी) के इरादे और नियति पर शक किया जा रहा है। भाजपा की सरकार इस मुद्दे के साथ आम लोगो को जोड़ रही है और देश मे बढ़ रहे आतंकी घटनाओ के लिए जनता कांग्रेश को दोषी मन रही है।
अब चुनाव को देखते हुए कुछ तो करना होगा न। जल्द ही आपको ये ख़बर भी सुनने को मिल सकता है कि कांग्रेस का दामाद बना बैठा अफजल गुरु को भी faansi पर लटका दिया गया है। जब सत्ता की बात हो तो कांग्रेसी (सोनिया) कुछ भी कर सकती है। अगर किसी को मेरी बात पर शक है तो कृपया मुझे बताये की आज तक कांग्रेस ने क्या किया इसके लिए? कोई करवाई करना तो दूर की बात है कड़े कानून तक बनाने से परहेज किया गया। केन्द्र मे शामिल मंत्री खुलेआम सिमी जैसे संगठनो की पैरोकारी करते रहे। तब कहा सोयी थी सरकार की चेतना...
परन्तु जनाब को शहीद होना ही पड़ा। और दोनों पाटीलो के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलाशाराव देशमुख का भी जाना तय है। बस सोनिया जी(!) का फ़ैसला लेना बाकि है। चाँद घंटो मे उनके जाने का समाचार भी मीडिया के सुर्खियों मे आ जाएगा। सरकार ने अधिकारिक स्तर पर पाक उच्चायुक्त को बुला कर कड़ा विरोध दर्ज किया है।
सामने से देखने पर सरकार के सारे कदम सामायिक दिख रहे है और लग रहा है कि सरकार कुछ करने के इरादे से कम कर रही है। परन्तु इसके पीछे छिपा सच ये है कि राज्यों के साथ साथ लोकसभा का चुनाव भी आसन्न है। जनता मे कांग्रेस की लुंजपुंज सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। हर तरफ़ मनमोहन सिंह (खेद है पर सोनिया गाँधी) के इरादे और नियति पर शक किया जा रहा है। भाजपा की सरकार इस मुद्दे के साथ आम लोगो को जोड़ रही है और देश मे बढ़ रहे आतंकी घटनाओ के लिए जनता कांग्रेश को दोषी मन रही है।
अब चुनाव को देखते हुए कुछ तो करना होगा न। जल्द ही आपको ये ख़बर भी सुनने को मिल सकता है कि कांग्रेस का दामाद बना बैठा अफजल गुरु को भी faansi पर लटका दिया गया है। जब सत्ता की बात हो तो कांग्रेसी (सोनिया) कुछ भी कर सकती है। अगर किसी को मेरी बात पर शक है तो कृपया मुझे बताये की आज तक कांग्रेस ने क्या किया इसके लिए? कोई करवाई करना तो दूर की बात है कड़े कानून तक बनाने से परहेज किया गया। केन्द्र मे शामिल मंत्री खुलेआम सिमी जैसे संगठनो की पैरोकारी करते रहे। तब कहा सोयी थी सरकार की चेतना...
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