राज ठाकरे आतंकियों का साथी!!!!!!!!!
मुंबई मे चल रहे कमांडो करवाई के दौरान रह रह के एक बात मुझे मथ रही है. ना जाने क्यों मुझे एसा लग रहा है कि इस आतंकी हमले के लिए बहुत ही सटीक समय चुना गया था। हमले के पहले की जमीं तैयार करने का कम राज ठाकरे ने किया। पहले तो बिहारी मराठी विवाद को सुलगाया और फिर इस बहाने पुरी मुंबई मे दहशतगर्दी फैलाई। मराठी और गैर मराठी विवाद मे राज्य और केन्द्र की सरकारें भी आँख बंद कर तमाशा देखती रहीं। जब मुद्दा गर्माया और राजनैतिक रंग पकड़ने लगा तो मजबूरन सत्ता को करवाई कराने का दिखावा करना पड़ा।
इसका मूल असर पड़ा मुंबई की संस्कृति और भाईचारे पर और पुलिस तथा अन्य सुरक्षा एजेंसिया भी सत्ता के इशारे पर काम कराती रही। इससे पुलिस की कार्यक्षमता के साथ साथ आपसी समन्वय पर भी बुरा असर पड़ा। इसी समय जब आतंकियों ने मुंबई पर हमले की योजना बनाई तो आंतरिक विवाद मे फंसे सुरक्षा एजेंसियों को पता तक नही लग सका।
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