शनिवार, 27 सितंबर 2008

चिट्ठी एक पाठक की

आप अपने पाठकों को यह समझाने की कोशिश करें कि कोई देशवासी आतंकवादी हो ही नहीं सकता। हिंदू हों या मुसलमान, वो सदियों से इसी देश में रहते आए हैं, और रहते रहेंगे। क्या यह मुमकिन है कि मुसलमान भारत छोड़ कर चले जाएंगे? या सारे हिंदू मिलकर मुसलमानों का अंत कर देंगे? ऐसा हो ही नहीं सकता। अगर आपस में इसी तरह का द्वेष फैलता रहेगा, तो सिर्फ़ और सिर्फ़ दंगे होते रहेंगे, बम ब्लास्ट होते रहेंगे। बेकसूर लोगों की जान जाती रहेगी। इसका अंत नहीं होगा। न भारत को हिंदू देश बनाया जा सकेगा, न ही यह मुस्लिम देश बन सकेगा। यह सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत ही रहेगा। हां, यह ज़रूर होगा कि, भारत जो विश्व शक्ति बनने के क़रीब पहुंच चुका है, अपने लक्ष्य से बरसों दूर चला जाएगा, और हम भारतवासी विश्व शक्ति बनने के सपने को साकार नहीं कर सकेंगे। आख़िर इसका फायदा किसको मिलेगा? इसका फायदा सिर्फ़ और सिर्फ़ उन शक्तियों को मिलेगा, जो भारत को विश्व शक्ति नही बनने देना चाहती हैं। यह वही देश हैं जो किसी दूसरे देश को तरक्की नहीं करने देना चाहते, वो अपना वर्चस्व खोना नहीं चाहते। वो नहीं चाहते कि कोई दूसरा देश उनकी चौधराहट के लिए चुनौती बने। मेरे प्यारे देशवासियों, यह अच्छी तरह समझ लो कि न हिंदू देश का बुरा चाहता है, न मुसलमान देश का बुरा चाहते हैं। सभी देश की तरक्की चाहते हैं। जो लोग दंगे करवाते हैं और फिर उसकी आड़ में बम ब्लास्ट करवाते हैं। इस ख़तरनाक काम को करने में, वो हमारे ही देश के कुछ लोगों का इस्तेमाल करते हैं। और हम बजाय इस ख़तरनाक साज़िश को बेनकाब करने के आपस में ही हिंदू-मुसलमान की लड़ाई में उलझ कर रह जाते हैं। हम भूल जाते हैं, कि दंगे करवाने वाले भी देशद्रोही हैं, और उसका बहाना बना कर बम फोड़ने वाले भी देशद्रोही हैं। लेकिन अपने ही किसी देशवासी को इस ख़तरनाक क़िस्म का दुश्मन घोषित करने से पहले, उसकी छानबीन अच्छी तरह से करनी ज़रूरी है। उसके कारणों का ईमानदारी के साथ पता लगाना ज़रूरी है। फिर यह भी ज़रूरी है कि, हम उन सभी कारणों का निराकरण करें, जिसकी वजह से हमारे ही देश वासियों को देशद्रोह के काम में विदेशी शक्तियां झोंक पाती हैं। हमें चाहिए कि सभी कट्टर पंथी धार्मिक पार्टियों को, चाहे वो राजनीतिक पार्टी हो या सामाजिक पार्टी, उन्हें गद्दार घोषित करें। हम उन पार्टियों के सिर्फ़ घोषणा पत्र को ही ना देखें, बल्कि यह भी देखें कि अघोषित रूप से भी वो किस हद तक देश की एकता और अखंडता के लिए ख़तरा पैदा कर रही हैं। चाहे वो बीजेपी, आरएसएस, सिमी, इंडियन मुजाहिदीन, वीएचपी, बजरंग दल हों, सभी की कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया जाए और उनको रोका जाए। दंगों को भी आतंकवाद की परिभाषा में शामिल किया जाए। देश के किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति को - दंगा करवाने या बम फोड़ने की आतंकी गतिविधियों को रोकने में असफल होने के आरोप में - सज़ा दिए जाने का प्रावधान बनाना होगा। देशवासियों अब भी समय है, यह हिंदू-मुस्लिम दंगे और लड़ाई बंद करो और देश की खुशहाली की बात करो। भारत को विश्वशक्ति बनाने का सपना साकार करो।
जय भारत - जय देश! आफताब हाशमी बिहार (फिलहाल सऊदी अरब में कार्यरत)

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