गुरुवार, 25 सितंबर 2008

आतंकवाद और गृहमंत्री

क्या भारत के नागरिको को यह जानने का अधिकार है कि देश के गृह मंत्री क्या कर रहे है और उनके द्वारा संविधान की मर्यादाओ का पालन किया जा रहा है या नही???? अगर है तो फिर उनके कार्यों को जनता के सामने लाया जाना चाहिए ताकि आम लोगों को भी पता चल सके कि जिनके हाथ में देश कि आंतरिक रक्षा का दायित्व है वो किस तरह से अपने काम को अंजाम दे रहे है...देश में लगातार हो रहे बम विस्फोट हो या आतंकियों को पकड़ने व उनके ऊपर लगाम लगाने की बात हो या फिर राज्यों के मध्य आंतरिक समन्वय की बात हो हर जगह हमारे गृहमंत्री का असहाय सा दिखता बयान आता है। क्या शिवराज पाटिल ने आतंकियों से निपटने के लिए राज्यों के बीच समन्वय स्थापित कराने व सक्षम कानूनों के क्रियान्वयन के लिए कोई काम किया? क्या वे ख़ुद को सक्षम गृहमंत्री साबित कर पाए? क्या आज गृहमंत्री का व्यक्तित्व इतना मजबूत है कि देश के किसी भाग में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे और वो रोक सके?? आज कश्मीर में "तेरी मंडी मेरी मंडी रावलपिंडी" और "तेरी जान मेरी जान पाकिस्तान" जैसे नारे फिजा में गूंज रहे है, केन्द्र में सत्ता सुख भोग रहे राजनीतिज्ञ सीमी जैसे संगठन का समर्थन दे रहे है, अफज़ल की फांसी का सजा सालों से विचाराधीन पड़ा है... क्या कर रहे है गृहमंत्री?
संविधान में सरकार में शामिल मंत्रियों के लिए अधिकार और कर्तव्य का स्पष्ट उल्लेख है। किसी भी स्थिति में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामानांतर सता केन्द्र नही हो सकता, न ही कोई और इन अधिकारों का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपयोग कर सकता है. इसके बाद भी आम जनमानस में सप्त रूप से इस बात कि चर्चा है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कही और से संचालित हो रहे है. इनका सञ्चालन कराने वालों कि अपनी प्राथमिकता व राजनैतिक प्रतिबधता है. इसी छुद्र राजनैतिक प्रतिबधता के कारण केन्द्र में सता में बैठी कांग्रेश अपने पार्टी के मुख्यमंत्रियों का सम्मलेन करा रही है. जिसके जबाब में बीजेपी भी अपने मुख्यमंत्रियों का सम्मलेन अलग आयोजित कराती है? गृहमंत्री गुजरात धमाकों के बाद वह के गृह राज्य मंत्री के अनुरोध पर कण नही देते, जिसके बाद अमित शाह को ख़ुद उत्तर प्रदेश कि मुख्यमंत्री मायावती से बात कर आतंकवादियों के गिरफतारी के लिए प्रयाश किया जाता है?कहा है केन्द्र का संघीय ढांचा? कहा है केन्द्र का राज्यों के बीच समन्वयक कि भूमिका?
मेरा उद्देश्य कही से भी केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल के व्यक्तिगत व्यक्तितावा पर बात करना नही है, न ही प्रधानमंत्री की भूमिका पर टिप्पणी, परन्तु एक संवैधानिक पद की गरिमा को बनाये रखने का दायित्व अंततः उस पर आसीन व्यक्ति का ही है और इसमे हमारे माननीय प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कहा तक सक्षम है इस का निर्णय आप सुधि पाठको पर ही छोड़ता हूँ.
c

1 comments:

Unknown 25 सितंबर 2008 को 1:26 pm बजे  

@क्या भारत के नागरिको को यह जानने का अधिकार है कि देश के गृह मंत्री क्या कर रहे है?

नहीं भारत के नागरिको को यह जानने का अधिकार नहीं है. कारण कि ग्रह मंत्री को भारत के नागरिकों ने नहीं चुना. जनता ने जिसे चुना ही नहीं उस से कुछ पूछने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है. जिनके कारण पाटिल जी इस कुर्सी पर बैठे हैं, उन्होंने पूछ लिया है और वह पाटिल जी के काम से संतुष्ट हैं. अब आप कहेंगे कि उन्हें यह अधिकार किसने दिया तो मेरी प्यारी जनता, इतनी जल्दी भूल गए, आपने ही तो वाजपेई जी को कुर्सी से हटाया था और इन्हें अपना नेता चुना था. भइया बबूल बोओगे तो आम कहाँ से खाओगे?

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