बुधवार, 24 सितंबर 2008

कश्मीर का दोगलापन

कश्मीर और जम्मू मे अमरनाथ श्राइन बोर्ड के मुद्दे पर हुए संघर्ष मे राजनितिक नेताओ व कठमुल्लाह धर्मगुरुओ का दोमुहापन खुल कर सामने आ गए। आश्चर्यजनक रूप से शांत रहने वाले जम्मू की जनता अपने अधिकार को लेकर उठ खड़ी हुई। वही इस घटना ने कई प्रश्न भी खड़े कर दिए।

आज जब कश्मीर के आत्मनिर्णय की बात की जाती है तो भारतीय भूभाग का हिस्सा बने कश्मीर के बारे मे ही क्यूँ बात की जाती है??? क्या आत्म निर्णय केवल संप्रभु भारत का अभिन्न भाग रहे कश्मीर को ही करना है? फिर आजाद कश्मीर पर हमला कर उसके आधे भूभाग को जबरन हथिया लेने वाले पाकिस्तान के कब्जे मे जो कश्मीर है क्या उसको आत्म निर्णय का अधिकार नही है? ये तो भारतीय नेताओ की संकीर्ण सांप्रदायिक तुष्टीकरण की नीति है जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का हम मुहतोड़ जबाब नही दे पा रहे है।
कश्मीर मे मुफ्ती मोहम्मद सईद कह रही है घाटी में सरकार हिन्दुओ को बसाने के लिए सारा षडयंत्र कर रही है. सरकार कि मंशा घाटी कि आबादी को बदलना है. पर क्या वे यह बताने का कष्ट करेंगी कि जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी घाटी से कश्मीरी पंडितो को मार कर भगा रहे थे तो क्या वो आबादी बदलने की कोशिश नही थी? आज भी हजारो कश्मीरी पंडित जो मारे मारे फिर रहे है उनका क्या कसूर था?
आज कहा जा रहा है कि घाटी के मुसलमान पाकिस्तान में मिलने का हक रखते है और इसलिए भारत उसपर से अपना अधिकार छोड़ दे. वाह क्या बात है; तब तो कल पंजाब के सिक्ख कहेंगे कि उन्हें भी अलग होने का अधिकार दे दे, झारखण्ड के आदिवासी कहेंगे कि उन्हें भी अपना अलग प्रदेश चाहिए. तब तो भारत को टुकडे टुकडे में तोड़ देना होगा. तब तो असम में गोरखालैंड, तमिलनाडु में तमिल इलम प्रदेश, नागालैंड व मिजोरम में बोडोलैंड और पश्चिम बंगाल को अलग हो कर बंगला देश में मिलाने कि मांग कराने से कौन रोकेगा?? पाकिस्तान को अगर कश्मीर चाहिए क्यूंकि वहां की बहुसंख्य आबादी मुसलिम है तो उसे भारत के सारे मुसलमानों को भी लेने के लिए तैयार होना पड़ेगा और इसकी संख्या १४ करोड़ से भी ज्यादा है. उसके बाद क्या होगा, पता है? सारे पाकिस्तान की आबादी संतुलन बिगड़ जायेगी और दाने दाने को लोग तरसने लगेंगे...

फिर अगर भारत में रहने या ना रहने का निर्णय का आधार कोई धर्म या संप्रदाय है तो राष्ट्र के पंथ निरपेक्ष स्वरुप का क्या होगा? भारत से कश्मीर को इसलिए अलग होने का अधिकार है तो भारत के हिन्दुओ का भी अधिकार है की ऊन जगहों से जहा हिंदू बहुलता है, मुसलमानों को खदेड़ भगाए. परन्तु इसका परिणाम क्या होगा इसे बस हम सोच ही सकते है, लेकिन लगता है कि पाकिस्तानी हुक्मरान यह भी सोचने का जहमत नही उठाना चाहते है...
अगला भाग की प्रतीक्षा करे

2 comments:

Unknown 24 सितंबर 2008 को 6:55 pm बजे  

बिल्कुल सही लिखा है आपने. मैं इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ - 'ये तो भारतीय नेताओ की संकीर्ण सांप्रदायिक तुष्टीकरण की नीति है जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का हम मुहतोड़ जबाब नही दे पा रहे है।'

kishusia@gmail.com

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