सोमवार, 22 जून 2009

काश तेरी खुशियाँ लौटा पाता

मन को पढ़ना कितना कठिन होता है ना!
अगर मन के भावों को समझना इतना कठिन नही होता तो जिंदगी भी इतनी कठिन नही होती!

एक अजीब सा ख्याल बन गई है जिंदगी
पसीने से भींगी रेशमी रुमाल बन गई है जिंदगी
तेरे प्यार को खोकर जीने की मज़बूरी मे
जवाब नही जिसका वह सवाल बन गई है जिंदगी

तेरे प्यार मे यूँ ही बिखरने का अरमान
बस इस जन्म का फ़साना नही बनेगा
खुदा, काश कि ये मेरा पहला जनम हो
छः जन्मो तक यूँ ही तेरा इंतजार रहेगा

कर देता तेरी आरजू मे फ़ना ख़ुद को
ये अरमान बस दिल का अरमान ही रह गया
कुछ ना कर सका मै बुजदिल कायर था
इन अरमानो मे बिखरती कहानी बन गई जिंदगी

हजारों ख्वाहिसों के रंग बिखराकर
मैंने बेनूर तेरी जिंदगी कर दी
तेरी आंसुओं से भीगी आँखों ने
तेरी हर अनकही कहानी कह दी

काश की तेरे होंठो पर खुशी,
आँखों मे गुलाबी सपने बिखेर पाता
तेरे सपनो मे इन्द्रधनुषी रंग भर कर
खुदा से भी तेरी खुशियाँ छीन लाता!

3 comments:

Udan Tashtari 23 जून 2009 को 2:20 am बजे  

बहुत भावपूर्ण.

RAJIV MAHESHWARI 23 जून 2009 को 5:12 pm बजे  

काश की तेरे होंठो पर खुशी,
आँखों मे गुलाबी सपने बिखेर पाता
तेरे सपनो मे इन्द्रधनुषी रंग भर कर
खुदा से भी तेरी खुशियाँ छीन लाता!

बहुत कुछ कह गए आप ........इन चार लाइनों में......

रंजना 23 जून 2009 को 6:53 pm बजे  

वाह !! बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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