रविवार, 21 जून 2009

एक बहन अंजान सी

This post is dedicated to the gal whom I loved most, the most beautiful gal of this world after my love...

Hey please don't be nasty, she was my sweet sis cum friend...

मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कमी क्या है, क्या आप सोच सकते है? जी हाँ, मेरी कोई बहन नही है। ना जाने इस रिश्ते को कितनी सिद्दत से मैंने महसूस किया है, ना जाने कितनी बार इस रिश्ते की कमी को मैंने दिल से माना है, ना जाने कितनी बार इश्वर से प्रार्थना की है कि किसी को बहन की कमी ना महसूस होने दे।
हाँ मैंने ऊपर जिस लड़की का जिक्र किया है उससे मेरा कोई खून का रिश्ता नही था। बस उसके घर मे मेरा आना जाना था। पर ना जाने कब उसने मेरे दिल के इस कोने मे जहाँ मेरी बहन के लिए प्यार ही प्यार भरा था, वहां अपनी जगह बना ली। और मेरी आदत है जिस रिश्ते को भी मैंने जिया, भरपूर जिया, पुरी ईमानदारी से जिया। वो लड़की कब मेरे लिए सगों से ज्यादा अपनी हो गई पता भी नही चला। कब उसके सपने मेरे सपने बन गए और कब वो मेरे जीवन की एक अभिन्न कड़ी बन गई पता ही नही चला। मैंने जो सोचा था कि मेरी बहन मेरी सबसे अच्छी दोस्त होगी और मेरी सबसे बड़ी राजदार भी, सबकुछ उसके साथ सच हो गया। मै कितना खुश था कि इश्वर ने मेरी सुन ली और अपनी बहन ना होते हुए भी बहन का प्यार दे दिया।
पर ना जाने कब वो रिश्ता दरक गया। कब वो मेरे से दूर हो गई या शायद कभी इतने पास थी भी नही जितना मैंने सोचा था। फिर भी वो एक ऐसे रिश्ते को जी के गई जिसकी मिठास मै पुरी जिंदगी महसूस करता रहूँगा। मेरी तरफ़ से उसके लिए पुरी जिंदगी दुआ और शुभकामना बना रहेगा।

अगले बार मेरी जिंदगी, मेरे प्यार से आपको रूबरू कराऊंगा

5 comments:

निर्मला कपिला 21 जून 2009 को 5:31 pm बजे  

बहुत सुन्दर जो लोग रिश्तों को अहमियत देते हैं वो सच मे अच्छे इन्सान होते है अपके लिये दुेआ कि वो फिर से आपकी भावना को समझे आभार्

ओम आर्य 21 जून 2009 को 9:04 pm बजे  

rishta ek khubsoorat ehasaas hota............rishto ki khubsurati me hi insaan ki khubsoorati hai

Udan Tashtari 22 जून 2009 को 2:24 am बजे  

आप अपनी तरफ से बनाये रखें यही भाव, बस!

RAJIV MAHESHWARI 23 जून 2009 को 5:07 pm बजे  

एक अजीब सा ख्याल बन गई है जिंदगी
पसीने से भींगी रेशमी रुमाल बन गई है जिंदगी
तेरे प्यार को खोकर जीने की मज़बूरी मे
जवाब नही जिसका वह सवाल बन गई है जिंदगी

ये लाइने आप की ही है ........शायद इसी को दिमाग में रखकर ये पक्तिया लिखी होगी .

Bihari Blog 23 जून 2009 को 11:37 pm बजे  

नहीं राजीव जी, ये पंक्तियाँ किसी और के लिए है. जब जिंदगी में हर कदम आप कुछ खो रहे हो तो लगता है कि शायद सब गड्मड हो रहा है. वैसे धन्यवाद् आपकी टिपण्णी के लिए

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