बुधवार, 15 अप्रैल 2009

पैसा है तो रिश्ते जोडो...

किसी रिश्ते के बनाये रखने मे पैसे की क्या भूमिका हो सकती है? आमतौर पर जवाब होता है कुछ नही क्योंकि रिश्ते दिल से बनते है और भावनाओ के साथ जुड़ते है। पर उतना ही सच है कि रिश्तों को स्थाई रखने मे पैसे की अहम् भूमिका होती है।
चलो इसे कुछ उदहारण के साथ समझने की कोशिश करते है। माना कि आपके किसी रिश्तेदार के यहाँ कोई पारिवारिक उत्सव है और आपको सपरिवार आमंत्रित किया गया है। आप अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह नही जाने का निर्णय करते है। और लो आरम्भ हो गया एक रिश्ते के कमजोर होने की शुरुआत। यहाँ आम तौर पर जवाब होता है कि अगर रिश्तेदार समझदार होगा तो स्थिति को समझ जाएगा? पर दुनिया मे समझदार कितने है?
माना आपके दोस्त को आपकी जरुरत है। उसने आपको बुलाया भी, पर आप आर्थिक कारणों से जाने मे असमर्थ है। आप अपने दोस्त को समझाते है पर वह इसे दुसरे तरीके से लेता है और एक दोस्ती मे दरार पड़ जाती है।
कई बार आर्थिक कारण अप्रत्यक्ष रूप से भी रिश्तों को प्रभावित करते है। और इस बात को तो मैंने ख़ुद के साथ अनुभव किया है। कुछ एसे रिश्ते जो मेरे लिए बहुत अहम् थे बस आर्थिक स्थिति के कारण टूट गए। आज भी यद् है जब मुझे बुलाया जा रहा था और मेरे से कहा गया कि अगर तुम नही आए तो शायद सब बिगड़ जाएगा। इसके बाद भी अपनी आर्थिक स्थिति के कारण मै नही जा सका और नतीजा मेरा सबसे अहम् रिश्ता टूट गया।
आज भी लगता है कि अगर मेरी आर्थिक स्थिति सही होती तो सब नही होता। अपने अच्छे समय मे बनाये गए कुछ रिश्तों को बुरे दौर मे बुरी तरह से टूटते हुए देखा है।
मुझे लगता है कि संबध और रिश्तो की विवेचना करते समय इसे भावनात्मक जुडाव और दिल से जुड़ी चीज मन कर आर्थिक कारक को गौण बनाना सही नही है। सम्बन्ध तभी तक स्थाई है जब तक आप उसे हर स्तर से बनाये रखने मे सक्षम है। इसलिए अगली बार जब रिश्तों की पड़ताल करे तो इस कारक को भी जरुर ध्यान मे रखे।

2 comments:

sarita argarey 15 अप्रैल 2009 को 10:21 pm बजे  

आजकल गिफ़्ट ही रिश्ते बनाती - बिगाड़ती है । जब तक जेब में सिक्कों की खनक है ,हर दूरस्थ रिश्ता भी मधुर है । जेब खाली तो नज़दीकी भी पहचानने से इंकार कर देता है । लेकिन ऎसे खोखले और छिछले रिश्तों का क्या फ़ायदा ,जिनकी उम्र रुपयों से तय होती हो ? रिश्तों की मृग मरीचिका में उलझनी की ज़रुरत ही क्या है /

संगीता पुरी 15 अप्रैल 2009 को 11:56 pm बजे  

आजकल रिश्‍तों में पैसे और पद के महत्‍व को देखा जाने लगा है ... आपका कहना सही है ... पर समाज में इसका गलत प्रभाव पड रहा है।

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