जिससे प्यार किया उसने बाजार दिया
यह कहानी नही हकीकत है प्यार, विश्वास, वफ़ा, फरेब, और बाहरी चमक दमक के पीछे अपनी जिंदगी को गम के अंधेरे मे धकेल लेने की।
फूलों की तरह महकती इलहाबाद की चंपा को 17 साल की उमर मे एक बांके सजीले जवान से प्यार हो गया। पर दो साल मे ही प्यार का खुमार उतर गया और लड़का उसे छोड़ कर अपनी राह हो लिया। दर्द-ऐ-दिल को करार मिला अपनी ही गली मे किरायेदार के रूप मे रह रहे प्रतिक से। इधर पिता ने चंपा की शादी तय कर दी उधर चंपा अपनी सगाई के तीन दिन पहले प्रतिक को अपना मनमीत मान उसके साथ घर से निकल गई। वह उसे ले कर लखनऊ पंहुचा और नवाबों के शहर मे उसे कोठे की जीनत बना दिया। जब चंपा ने मन किया तो लड़के ने कहा की 'मै तुम्हारे शरीर से नही आत्मा से प्यार करता हूँ, तुम जो भी कर रही हो करो मै तुम्हारे साथ हूँ।'
लखनऊ के बाद ठिकाना बना दिल्ली और दिल्ली मे घुन्घरून के खनक की जगह देह के तार बजने लगे। और लड़का उसके पैसों पर ऐश करने लगा। आज लड़की देह धंधे मे बहुत आगे बढ़ चुकी है और वापस लौटना चाहती है। सहारा देने वालें भी मिल रहे है। पर लड़का सोने की मुर्गी को खोना नही चाहता। वही धनाढ्य परिवार की वह लड़की अपने खानदान पर फिर कोई दाग नही लगे सोच कर पुलिस मे नही जाना चाहती। आश्चर्य की बात तो यह है कि लड़के का अपना परिवार है। उसके माता-पिता और पत्नी तक को सारी कहानी मालूम है। फिर भी पैसों के लालच मे सब चुप बैठे है।
इस आपबीती को बस नाम बदल को संक्षेप मे मैंने यहाँ रख दिया है। वैसे लिखने को और भी कुछ है पर उसके बाद मुझ पर इसे सनसनीखेज बनाने का आरोप लग सकता है।
फूलों की तरह महकती इलहाबाद की चंपा को 17 साल की उमर मे एक बांके सजीले जवान से प्यार हो गया। पर दो साल मे ही प्यार का खुमार उतर गया और लड़का उसे छोड़ कर अपनी राह हो लिया। दर्द-ऐ-दिल को करार मिला अपनी ही गली मे किरायेदार के रूप मे रह रहे प्रतिक से। इधर पिता ने चंपा की शादी तय कर दी उधर चंपा अपनी सगाई के तीन दिन पहले प्रतिक को अपना मनमीत मान उसके साथ घर से निकल गई। वह उसे ले कर लखनऊ पंहुचा और नवाबों के शहर मे उसे कोठे की जीनत बना दिया। जब चंपा ने मन किया तो लड़के ने कहा की 'मै तुम्हारे शरीर से नही आत्मा से प्यार करता हूँ, तुम जो भी कर रही हो करो मै तुम्हारे साथ हूँ।'
लखनऊ के बाद ठिकाना बना दिल्ली और दिल्ली मे घुन्घरून के खनक की जगह देह के तार बजने लगे। और लड़का उसके पैसों पर ऐश करने लगा। आज लड़की देह धंधे मे बहुत आगे बढ़ चुकी है और वापस लौटना चाहती है। सहारा देने वालें भी मिल रहे है। पर लड़का सोने की मुर्गी को खोना नही चाहता। वही धनाढ्य परिवार की वह लड़की अपने खानदान पर फिर कोई दाग नही लगे सोच कर पुलिस मे नही जाना चाहती। आश्चर्य की बात तो यह है कि लड़के का अपना परिवार है। उसके माता-पिता और पत्नी तक को सारी कहानी मालूम है। फिर भी पैसों के लालच मे सब चुप बैठे है।
एक ऐसी राह
जहा बस चलते जाना है
ना कुछ लेना है ना कुछ देना है
ना कुछ खोने का एहसास है
खुद को मिटा दे हमसफ़र के लिए
बस यही प्यार है
इस आपबीती को बस नाम बदल को संक्षेप मे मैंने यहाँ रख दिया है। वैसे लिखने को और भी कुछ है पर उसके बाद मुझ पर इसे सनसनीखेज बनाने का आरोप लग सकता है।
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