आमने सामने
आज पहला दिन है... सोचा आपसे बात कर ली जाए। आपको भी तो बताना जरुरी है की आमने कौन है और सामने कौन है... है ना? मैंने भी बहुत सोचा की कौन आमने है और कौन सामने है। पर ना कोई आमने मिला ना कोई सामने मिला। अब मई क्या करता। सोचा ख़ुद ही मोर्चा संभालता हूँ। बड़ी मुश्किल हो गई कि ख़ुद ही कोई बात कहो और ख़ुद ही उसमा विरोध या समर्थन करो... सोचा चलो भाई लोगों को बुलाता हूँ... पर मेरे भाई को ऐतराज़ हो गया कि मैंने भाई लोग शब्द क्यों इस्तेमाल किया है... (थोड़ा असाहित्यिक लगता है ना) अब मई क्या करू??? अंत मे सोचा कि क्यों ना आपलोगों को ही बुला लू... आप मेरा विरोध करे या समर्थन विचार को प्रवाह तो होगा ही ना... और जब प्रवाह बना रहता है तो सडन नही होती है ना...
5 comments:
अभिषेक जी
आपका स्वागत है। आमने-सामने की प्रतीक्षा रहेगी।
अभिषेक जी, सामने तो हम हैं और आमने आप
आपका स्वागत है।
आईए अभिषेक!...आपका स्वागत है!यहां तो आमना-सामना खूब हो रहा है! आनंद ही आनंद है!
अच्छी सोच...स्वागत है आपका. शुभकामनायें.
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ultateer.blogspot.com
बहुत बहुत धन्यवाद शोभा जी... अब हम आमने तो आ गए है देखेते है सामने कौन आता है... शोभा जी आप सामने है तो हम भी तैयार हो रहे है सामना कराने के लिए... जायका जी आपने खूब कहा कि यह आमना सामना हो रहा है और आनंद भी आ रहा है, आशा है हमे भी आनंद आएगा... धन्यवाद सागर जी आप भी हमारे साथ रहे टैब मज़ा ज्यादा आएगा...
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